एक मंच पर दो सीएम और तीन डिप्टी सीएम जुटे तो क्या-क्या बातें निकलीं ?
1 min read
BBT Times ,
लॉकडाउन के एक महीने पूरे होने पर. इसके एक सेशन में दो सीएम और तीन डिप्टी सीएम बारी-बारी वीडियो कॉल के माध्यम से जुड़े और अपनी बात रखी.
कौन-कौन जुड़ा?
राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, राजस्थान के डिप्टी सीएम सचिन पायलट, दिल्ली के डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया और हरियाणा के डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला.
अशोक गहलोत ने सबसे पहले ये बात साफ कर दी कि कांग्रेस लॉकडाउन के विरोध में नहीं है. राहुल गांधी ने भी लॉकडाउन को सपोर्ट किया है. लेकिन उनका कहना है कि सिर्फ लॉकडाउन कर देने से काम नहीं चलने वाला है. मेडिकल से जुड़े और भी कई उपाय करने होंगे, जिनका ज़िक्र वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइज़ेशऩ (WHO) भी कर चुका है.
इसके अलावा अशोक गहलोत ने लॉकडाउन से जुड़े बाकी पहलुओं पर भी बात की. कहा –
“लॉकडाउन लगाना आसान है. उसे हटाना मुश्किल है.”
“केंद्र तो मौखिक आदेश दे देता है”
केंद्र-राज्य को-ऑर्डिनेशन पर गहलोत बोले –
“केंद्र की वजह से कई बार असमंजस की स्थिति बन जाती है. कई बार लिखित आदेश जारी नहीं किए जाते. गृह मंत्रालय मौखिक ही आदेश दे देता है. ऐसे में हमारे लिए कन्फ्यूजन हो जाता है. हर राज्य की भौगोलिक स्थिति अलग है. ऐसा ज़रूरी नहीं है कि एक ही फैसला सबके लिए फायदेमंद हो. कोटा में अभी भी कई राज्यों के लोग फंसे हुए हैं. यहां सवाल केंद्र का आदेश मानने का नहीं, वहां लोगों की जान बचाने का है.”
“झारखंड 90% केंद्र पर आश्रित”
वहीं हेमंत सोरेन ने कहा –
“झारखंड जैसे छोटे और पिछड़े राज्यों की 90% निर्भरता केंद्र सरकार पर ही है. ऐसे में इन राज्यों पर ध्यान देना बेहद ज़रूरी है. सबसे पहले तो मज़दूरों की मज़दूरी बढ़ाने की ज़रूरत है. ताकि उनका घर चलता रहे और वे काम की तलाश में इधर-उधर न जाएं. जब 3 मई को लॉकडाउन खत्म होगा तो दिक्कतें और बढ़ सकती हैं. क्योंकि प्रवासी मजदूर घर आएंगे तो उन्हें पहले क्वारंटनी करिए, फिर काम दिलाइए.”
डिप्टी सीएम सचिन पायलट ने भी लॉकडाउन खोलने को लेकर फेज़-दर-फेज़ प्लान तैयार करने की ज़रूरत पर बात की. मनीष सिसोदिया ने कहा कि दिल्ली में फिलहाल स्थिति कंट्रोल से बाहर नहीं है. रही बात भविष्य की तो कोरोना का एक मात्र इलाज वैक्सीन है. प्लाज़्मा थेरेपी से एक उम्मीद है. कुछ मरीजों पर इसका फायदा होता दिख रहा है.