01 मई, अन्तर्राष्ट्रीय श्रमिक दिवस पर समर्पित।
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BBT Times,
01 मई, अन्तर्राष्ट्रीय श्रमिक दिवस पर समर्पित
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नित पसीने में नहाता वह एक मजदूर है,
दो वक़्त की रोटी कमाने के लिए मजबूर है।
पैदा हुआ है मुफ़लिसी में मर भी जायेगा वहीं,
टूटने को कुछ भी नहीं है खुद ही चकनाचूर है।
फूस की ही झोपड़ी में खुद गुज़ारा कर लिया,
वो दूसरों का घर बनाने के लिए मशहूर है।
शोषित वही, वंचित वही, बे-बस भी है वही,
जो जहाँ से मिल गया पाकर गुजारा कर लिया।
कर्म योगी, धर्म योगी, मर्म योगी भी है वही,
पर ज़माने की नज़र में अब भी कोसों दूर है।
दो जून रोटी की खातिर, पसीना बहाने को मजबूर है ।।
मौलिक रचना-रामचन्द्र स्वामी अध्यापक बीकानेर ।मो.9414510329